2020 पहले ख़त्म होगा या हम
?
2020 पहले ख़त्म होगा या हम
? हालत को देखते हुए ये सवाल मन में आना लाजमी है | जब 2020 शुरू हुआ है, आफत पे आफत
आ रही है | क्या होगा ये कोई नहीं जानता बस हर कोइ हर किसी की सलामती की दुआ कर
रहा है |
साल की शुरुआत होते ही
कोरोना ने दस्तक दे डाली सारा दुनिया हाहाकार मचा रहा है और ये कोरोना इस तरह से
चिपक गया है जाने का नाम नही ले रहा है, सब पूछ रहे है “अथिति तुम कब जाओगे” मगर
जवाब नदारद है !
फिर आया उल्का पिंड, उसका
भी खौफ ऐसा की लोग बस जैसे अंतिम समय का इंतजार कर रहे हो, चलो खैर किसी तरह से इस
उल्का पिंड से जान तो बचा, थोड़ी सी रहत की साँस ली, अब फिर से हम कोरोना के साथ
थे, फिर भूकंप भी कहीं कहीं अपना दस्तक देकर चला गया, मानो जैसे याद दिला रहा हो
की कोरोना के साथ रहकर मुझे भूल न जाना साथियों, मानो वो कह रहा हो “मै तुम्हे भूल
जाऊ ये हो नही सकता और तुम मुझे भूल जाओ ये मै होने नही दूंगा”
अभी इन सब मुसीबतों से पूरा
विश्व पूरी तरह उभरा नही है और एक नई मुसीबत दरवाजे पे दस्तक देने के लिए दरवाजा
खटखटा रही है | जी हां आप सही समझ रहे है. मै बात कर रहा हु अम्फान शायकलोन की |
इस तूफान का नाम अम्फान
थाईलैंड ने दिया है और इस तरह का तूफान सिर्फ और सिर्फ अपने एक तबाही छोड़कर जाता
है | आप सबको याद ही होगा 2014 का हुदहुद तूफान, लेकिन बताया जा रहा है की ये
तूफान उस तूफान से भी ज्यादा विध्वंशक और भयावह हो सकता है |
इस तुफान का असर पश्चिम बंगाल,
ओडिशा, सिक्किम, असम, मेघालय, आदि क्षेत्रो को प्रभावित कर सकता है |
अब जरा रुकिए और सोचिये लाखो
लोग ऐसे है जो अभी भी अपने घर जाने के लिए सडको पर अपने परिवार के साथ पैदल चल रहे
है, कोरोना से अपनी नजरो को बचाते हुए किसी तरह से अपने घर पहुँचने की कोशिश कर
रहे है | लेकिन ऊपर वाले के मन में क्या योजना चल रहा है ये तो कोइ नही जानता |
इसलिए मैंने कहा पहले 2020
खतम होगा या हम ?
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