क्या चीन के सामान का बहिष्कार कर सकता है भारत ?
"चिराग कैसे अपनी मजबूरियों को बयान करे ।
हवा जरूरी भी है और डर भी उसी से है "
आज हमारे में देश TIKTOK के जरिये ये बताने की कोशिश की जा रही है की टिकटोक का इस्तेमाल ना करे । तो स्थिति का अंदाजा आप खुद लगा सकते है । सोशल मीडिया पर इस बात को लेकर काफी चर्चा है की चाइना का सामान चाहे वो कुछ भी हो इस्तेमाल ना करे अगर अभी इस्तेमाल कर भी रहे है तो lockdown के बाद तो बिलकुल भी ना करे ।
मै बात करना चाहता हु की क्या चीन के सामान के बहिष्कार कर सकता है भारत ? मै इसलिए इस बात को कह रहा हु की जहां बात बहिस्कार की हो रही है वंही चीन से कोरोना टेस्ट के किट मंगवाए जा रहे है । आज भारत में हर वो छोटी से छोटी चीजे चीन का ही है ।
चलिए बात करते है एक कील की जो दीवारों पे ठोकी जाती है । चीन की बानी हुई किले आज भारत में धूम मचा रही है । भारत में बने काळा और मरियल किंलो को चाइना ने आज यंहा रिप्लेस कर दिया है । चाइना किलो की खाशियत यह है की अगर इन्हे दीवाल में ठोका जाये तो टेढ़ा नहीं होता है । पहले हम भारत में बानी किलो को अपने दिवलो में आसानी से ठोक पाते थे । मगर कुछ सालो से जो कीलें यहां बनाई जा रही है उसे डायरेक्ट दिवलो पर नहीं ठोक सकते है इसके लिए हमें ड्रिल मशीन की जरूरत पड़ती है । यानि की अगर आपको एक कील ठोकना हो तो पहले ड्रिल मशीन खरीदो या फिर भाड़े पर ले आकर आओ । मतलब जितना का नुनु नहीं है उतना का झुनझुना में खर्चा ।मगर चाइना के जो कील है वो सीधे दीवाल में चले जाते है बड़ी ही आसानी के साथ हथौड़ा से आप ऐसे ठोक सकते है ।
किलो पर इतना लिखने का मतलब एक ही है की अब हम अपनी जरूरत के हिसाब से किले भी नहीं बना पा रहे है । इसी तरह से देखा जाये तो भारतीय सखुआ से बने पत्तलो का स्थान अब थर्मोकोल से बने चाइना पत्तलो ने ले लिया है । बात करे अगर एमर्जेन्सी लाइट्स की तो भारत में बने इमरजेंसी लइते 700 से 800 रूपये में मिलती है वंही चाइना की इमरजेंसी लाइटे 100 रूपये में बाजार में उपलब्ध है । दिवाली की रौशनी, होली की पिचकारी, रंग यंहा तक की भारत का तिरंगा झंडा भी चीन से आ रहा है ।
तो बात आती है कैसे हम बहिष्कार कर रहे है मगर क्या इस तरह से बहिष्कार करने के लिए भी चाइना के सामने का ही इस्तेमाल कर रहे है ।
तो भाई भारत में हम बना क्या रहे है, हम आर्थिक महाशक्ति वाला देश कैसे बनेंगे ये सिर्फ छोटे छोटे सवाल नहीं है बल्कि भारतीय औधोगिक विकाश पर सवालिया निशान है ।
तो क्या इस तरह से हम कर सकते है चाइना का बहिष्कार ? जवाब जरूर दे ।
"चिराग कैसे अपनी मजबूरियों को बयान करे ।
हवा जरूरी भी है और डर भी उसी से है "
आज हमारे में देश TIKTOK के जरिये ये बताने की कोशिश की जा रही है की टिकटोक का इस्तेमाल ना करे । तो स्थिति का अंदाजा आप खुद लगा सकते है । सोशल मीडिया पर इस बात को लेकर काफी चर्चा है की चाइना का सामान चाहे वो कुछ भी हो इस्तेमाल ना करे अगर अभी इस्तेमाल कर भी रहे है तो lockdown के बाद तो बिलकुल भी ना करे ।
मै बात करना चाहता हु की क्या चीन के सामान के बहिष्कार कर सकता है भारत ? मै इसलिए इस बात को कह रहा हु की जहां बात बहिस्कार की हो रही है वंही चीन से कोरोना टेस्ट के किट मंगवाए जा रहे है । आज भारत में हर वो छोटी से छोटी चीजे चीन का ही है ।
चलिए बात करते है एक कील की जो दीवारों पे ठोकी जाती है । चीन की बानी हुई किले आज भारत में धूम मचा रही है । भारत में बने काळा और मरियल किंलो को चाइना ने आज यंहा रिप्लेस कर दिया है । चाइना किलो की खाशियत यह है की अगर इन्हे दीवाल में ठोका जाये तो टेढ़ा नहीं होता है । पहले हम भारत में बानी किलो को अपने दिवलो में आसानी से ठोक पाते थे । मगर कुछ सालो से जो कीलें यहां बनाई जा रही है उसे डायरेक्ट दिवलो पर नहीं ठोक सकते है इसके लिए हमें ड्रिल मशीन की जरूरत पड़ती है । यानि की अगर आपको एक कील ठोकना हो तो पहले ड्रिल मशीन खरीदो या फिर भाड़े पर ले आकर आओ । मतलब जितना का नुनु नहीं है उतना का झुनझुना में खर्चा ।मगर चाइना के जो कील है वो सीधे दीवाल में चले जाते है बड़ी ही आसानी के साथ हथौड़ा से आप ऐसे ठोक सकते है ।
किलो पर इतना लिखने का मतलब एक ही है की अब हम अपनी जरूरत के हिसाब से किले भी नहीं बना पा रहे है । इसी तरह से देखा जाये तो भारतीय सखुआ से बने पत्तलो का स्थान अब थर्मोकोल से बने चाइना पत्तलो ने ले लिया है । बात करे अगर एमर्जेन्सी लाइट्स की तो भारत में बने इमरजेंसी लइते 700 से 800 रूपये में मिलती है वंही चाइना की इमरजेंसी लाइटे 100 रूपये में बाजार में उपलब्ध है । दिवाली की रौशनी, होली की पिचकारी, रंग यंहा तक की भारत का तिरंगा झंडा भी चीन से आ रहा है ।
तो बात आती है कैसे हम बहिष्कार कर रहे है मगर क्या इस तरह से बहिष्कार करने के लिए भी चाइना के सामने का ही इस्तेमाल कर रहे है ।
तो भाई भारत में हम बना क्या रहे है, हम आर्थिक महाशक्ति वाला देश कैसे बनेंगे ये सिर्फ छोटे छोटे सवाल नहीं है बल्कि भारतीय औधोगिक विकाश पर सवालिया निशान है ।
तो क्या इस तरह से हम कर सकते है चाइना का बहिष्कार ? जवाब जरूर दे ।
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