Good Friday क्यों मनाया जाता है, गुड फ्राइडे क्या है, इसका इतिहास और धार्मिक महत्व?



गुड फ्राइडे एक क्रिस्चियन लोगो का एक ऐसा त्यौहार है जिसे सारी दुनिया में एक साथ और एक ही दिन मनाया जाता है । बाइबिल बताती है की येशु मसीह ने अपने प्राणो को त्याग दिया ताकि हमें अपने पापो से छुटकारा मिल सके । अलग अलग लोग इसे अलग तरीके से पेश करते है । अगर इस दिन येशु मसीह को शूली पे चढ़ाया गया तो ये गुड़ कैसे हो सकता है मगर बाबिब्ले के अनुसार येशु मसीह ने हमारे आपके पापो के लिए अपना प्राण त्याग दिया इतना बड़ा सैक्रिफाइस करने वाला कोई इनसान तो नहीं हो सकता है, जी हां येशु मसीह खुद परमेश्वर का एकलौता पुत्र था जो परमेश्वर ने मेरे और आपके पापो के लिए बलिदान कर दिया । इसलिए इसे गुड़ फ्राइडे कहते है ।

इस वर्ष देश और दुनिया में 10 अप्रैल को गुड फ्राइडे मनाया जा रहा है। ईसाई धर्म के पवित्र ग्रंथ बाइबिल के अनुसार, इस दिन ही करुणा के सागर, ममता के रूप, शांति के पुजारी और परमात्मा के पुत्र ईसा मसीह को शूली पर चढ़ा दिया गया था। यह पर्व हर साल मार्च अथवा अप्रैल में मनाया जाता है। इस दिन देश और दुनिया के हरेक कोने में विशेष प्रार्थना-आराधना की जाती है। लोग घरों और चर्चों में जाकर प्रभु यीशु  मसीह को याद करते हैं।ईसाई धर्म के पवित्र ग्रंथ बाइबिल के अनुसार, प्रभु ईसा मसीह प्रेम की पराकाष्ठा प्रस्तुत करते हुए इस धरा से बढ़ते पापों को समाप्त कर, धर्म की स्थापना के लिए उत्पीड़न और दर्द को सहकर शूली पर चढ़ गए।

ईसा मसीह को शूली पे चढ़ाया जाना

ईसा मसीह के जन्म को लेकर धार्मिक ग्रंथों और विद्वानों में मतभेद है। हालांकि, सबसे सत्य और सटीक जानकारी पवित्र ग्रंथ बाइबिल से मिलती है। इसके अनुसार, ईसा मसीह का जन्म 6 ई।पू। में बेथलेहम में हुआ था। इनकी माता का नाम मरियम था, जो कि गलीलिया प्रांत के नाज़रेथ गांव की निवासी थीं। इनके पिता यूसुफ़ थे, जो पेशे से बढ़ई थे। दोनों शादी के बाद नाज़रेथ से बेथलेहेम आ गए और यहीं पर यीशु  मसीह का जन्म हुआ था।

यीशु ने अपने पिता के पेशे को ही अपनाया और अपने जीवन के 30 साल तक बढ़ई के रूप में काम किया और 30 साल की आयु में उन्होंने यूहन्ना से दीक्षा हासिल की। इसके बाद ईसा घूम-घूम कर धर्म का उपदेश देने लगे। इस दौरान उन्होंने लोगों को धर्म, कर्म, मानवता और शांति का पाठ पढ़ाया। यह देखकर अंधविश्वास फैलाने वाले ज्ञानी सकते में आ गए और उन्होंने इसकी शिकायत रोमन के राजा से की।

इस शिकायत में उन्होंने कहा कि यीशु खुद को परमेश्वर का पुत्र बताता है और एक दूसरे धर्म की स्थापना करने आया है। इस इंसान से अपने धर्म और संस्कृति को खतरा है।

रोमन के राजा  ने रानी की बात मान ली, लेकिन जब दूसरी बार धर्म पंडितों ने शिकायत की तो पोंटियंस ने प्रभु ईसा को शूली पर चढ़ाने के आदेश दे दिए। इसके बाद यीशु मसीह को फ्राइडे के दिन शूली पर चढ़ा दिया गया। ऐसा कहा जाता है कि प्रभु ईशा को 6 घंटे तक शूली पर लटकाया गया था। उसके बाद शूली से उतरा गया था।

जब यीशु को शूली पर चढ़ाया जा रहा था। उस समय उन्होंने परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना की थी- हे प्रभु ये नादान हैं, इन्हें नहीं पता कि ये क्या कर रहे हैं। इन्हें माफ़ कर दें। अंत में उन्होंने कहा- मैं अब अपनी आत्मा आपको सौंप रहा हूं, यह कहकर यीशु ने अपना प्राण त्याग दिए । उन्हें शूली से लटकाने से पहले कई बार शारीरिक यातनाएं दी गईं। इस घटना के तीन दिन बाद प्रभु कब्र से उठ गए। इस दिन को ईस्टर डे कहा जाता है। बाइबिल बताती है कि ईस्टर डे के बाद प्रभु ईसा 40 दिन तक धरती पर रहे और इसके बाद स्वर्ग लौट गए । और आज भी यीशु जिन्दा है हमरे बिच है और वो ही है जो हमारे पापो को क्षमा कर सकते है ।

लोगो का मानना है की जिस दिन येसु शूली पे चढ़ाया गया था वो दिन फ्राइडे का था लेकिन इसका कोई पुख्ता प्रमाण बाइबिल में नहीं मिलता है । हाँ येशु मसीह को सूली पे चढ़े गया था ये बात सत्य है ।

ज्यादा जानकारी के लिए आप बाइबिल को फॉलो कर सकते है ।
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Milan Tomic

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