झारखण्ड राज्य में कोरोना वायरस की वजह से सारे स्कुल और कॉलेज बंद पड़े है इस वजह से यहाँ के बच्चो की पढ़ाई काफी बाधित हुई है और इसकी क्षतिपूर्ति करने की अब सरकार सोच रही है और इसके लिए योजनाए भी बनाई जा रही है । स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के प्रधान सचिव ने इस सन्दर्भ में प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा निदेशक से प्रस्ताव माँगा है । और इसके काम के उन्हें ठोस योजना बनाने के लिए निर्देश दिया गया है ।
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प्रधान सचिव ने बच्चों की लंबित पढ़ाई पूरा करने के लिए लॉकडाउन की समाप्ति के बाद गर्मी की छुट्टियों को शामिल करते हुए स्कूलों को खोलने की तिथियां तय करने का निर्देश दिया है। साथ ही स्कूलों में कार्य अवधि एक घंटे बढ़ाने और स्कूल की अवधि सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक करने पर विचार करने को कहा है। वर्तमान में स्कूलों का संचालन सुबह आठ बजे से अपराह्न दो बजे तक हो रहा है। जबकि गर्मी में इसका संचालन सुबह साढ़े छह से साढ़े ग्यारह बजे तक होता है।
प्रधान सचिव ने स्कूल बंद अवधि में मिड डे मील की क्षतिपूर्ति के रूप में बच्चों को निर्धारित मात्रा में चावल व राशि भी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने पारा शिक्षकों के नियमितीकरण, प्राइवेट स्कूलों में फीस निर्धारण, आरटीई आदि से संबंधित कोर्ट केस में आवश्यक पूरक शपथपत्र भी न्यायालय में शीघ्र दायर करने का निर्देश दिया है। इसी तरह उन्होंने सभी शिक्षकों, पारा शिक्षकों, कर्मियों व अनुबंध कर्मियों का मार्च व अप्रैल माह का वेतन भुगतान समय पर सुनिश्चित करने का भी आदेश दिया है।
झारखण्ड सरकार इस मुसीबत के समय में भी यहां बच्चो के भविष्य के बारे सोच रही है और हमें भी इस मुसीबत सरकार के साथ खड़ा होना चाहिए । मुसीबत जितनी भी हम बच्चो के अच्छी शिक्षा को लेकर हमेशा चिंतित रहते है और हो भी क्यों न क्यों की हमारे बच्चो की जिंदगी शिक्षा ही तो तय करती है ।
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